
वाहन दुर्घटना में पीड़ित के अधिकार अज्ञात वाहन होने पर, बीमा ना होने पर, f.i.r. ना होने पर क्लेम की राशि कैसे प्राप्त करें
रोजाना हजारों दुर्घटनाएं होती हैं जिनमें अधिकांश दुर्घटनाएं सड़क दुर्घटनाएं हैं, सभी जानते हैं कि कोरोना महामारी से जितनी जनहानि हुई थी उससे अधिक जनहानि तो एक साल मे सड़क दुर्घटनाओं में हो जाती है । वर्तमान में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है । शासन-प्रशासन इस दिशा में सतर्क है तथा सड़क दुर्घटनाओं को कम करने में यथोचित कदम उठा रहे हैं किंतु फिर भी वांछित परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं । सड़क दुर्घटनाओं में चाहे कोई अंग की हानि हो या जान के हानि हो , दोनों ही परिस्थिति में पीड़ित को ही क्षति नहीं होती है बल्कि पीड़ित के साथ-साथ उसका परिवार भी अनायास क्षति का शिकार हो जाता है । हर व्यक्ति के साथ कई प्रकार की जिम्मेदारियां होती है और कोई भी दुर्घटना समय बता कर नहीं आती है । ऐसे में अचानक दुर्घटना से पीड़ित तथा उसका पूरा परिवार अस्त व्यस्त हो जाता है । दुर्घटनाएं अक्सर पीड़ित तथा उसके परिवार का पूरा भविष्य ही बदल देती हैं । दुर्घटना पर पीड़ित को क्या करना चाहिए? पीड़ित के परिवार को क्या करना चाहिए ? और सड़क दुर्घटना पर पीड़ित को क्या अधिकार है ? इस विषय पर यह लेख आधारित है ।
अब तक जितने भी सर्वे हुए हैं सभी में सड़क दुर्घटनाओं के तीन प्रमुख कारण देखने में आए हैं जिसमें पहला कारण है नशा, दूसरा कारण है नींद, और तीसरा कारण मनोदशा है जिसमें चिंता, क्रोध, अति आतुरता,विकृत मनोदशा आदि आते हैं प्राय: 80% दुर्घटनाएं तो इन्हीं तीन कारणों से होती है।
सड़क दुर्घटना पर क्या करें:
यदि पीड़ित स्वयं कुछ करने की स्थिति में नहीं होता है तो जो आसपास के लोग हैं जिन्होंने दुर्घटना देखी है उन्होंने बिना किसी विचार के पीड़ित की सहायता करना चाहिए और जिस वाहन से दुर्घटना हुई है उस वाहन का नंबर नोट करना चाहिए तथा दुर्घटना के चित्र खींचना चाहिए । पहला फोन चिकित्सा सुविधा के लिए और दूसरा फोन किसी विधिविशेषज्ञ वकील को करना चाहिए । इसके साथ 108 नंबर पर फोन करना चाहिए या जेसी सुविधा प्राप्त हो उसके अनुसार पीड़ित को हॉस्पिटल ले जाना चाहिए । पुलिस को भी सूचना देना चाहिए । जहां तक संभव हो पीड़ित को किसी प्राइवेट अस्पताल में भर्ती न करते हुए किसी शासकीय अस्पताल में भर्ती करना चाहिए । यदि दुर्घटना में किसी की मृत्यु हो चुकी है तो ऐसी दशा में तुरंत आसपास के पुलिस स्टेशन को फोन करना चाहिए दुर्घटना के फोटो खींचना चाहिए तथा दुर्घटना में सम्मिलित सभी वाहनों के नंबर नोट करना चाहिए । वाहनों के फोटो खींचना चाहिए। पीड़ित तथा पीड़ित के सामान का फोटो भी खींचना चाहिए आसपास एकत्रित भीड़ का फोटो भी खींचना चाहिए । कई बार यह देखने में आया है कि दुर्घटना के पीड़ित व्यक्ति का सामान भीड़ में चोरी कर लिया जाता है इसलिए दुर्घटना में सावधान होकर सबसे पहले पीड़ित व्यक्ति के सामान की सुरक्षा करना चाहिए ।
सड़क दुर्घटना पर क्या नहीं करना चाहिए:
कोई भी दुर्घटना किसी के द्वारा जानबूझकर नहीं की जाती है इसलिए बिना क्रोध किए सिर्फ पीड़ित की सहायता करना चाहिए, यदि उसे खून बह रहा है तो यथोचित उपचार करना चाहिए । पीड़ित की सहायता करने में संकोच नहीं करना चाहिए, यह विचार नहीं करना चाहिए कि पीड़ित की सहायता करने से पुलिस कार्यवाही अनावश्यक घसीटा जा सकता है । यद्यपि सहायता करने वाले व्यक्ति को पुलिस बुलाती है और उसके बयान वगैरा लेती है किंतु पुलिस कभी भी ऐसी सहायता करने वाले व्यक्ति को परेशान नहीं करती है, बल्कि वह पुलिस का गवाह होता है कई मामलों में उसे आने-जाने का खर्च भी पुलिस के द्वारा दिया जाता है । अक्सर देखा जाता है कि लोग दुर्घटना के कई दिनों पश्चात तक किसी विधि विशेषज्ञ से सलाह नहीं लेते हैं महीनों व्यतीत होने के बाद किसी वकील के पास पहुंचते हैं तब तक कई महत्वपूर्ण औपचारिकताओं से वंचित हो जाते हैं जिससे कि उन्हें दुर्घटना का क्लेम प्राप्त नहीं हो पाता है।
सड़क दुर्घटना में पीड़ित को क्या अधिकार प्राप्त हैं:
दुर्घटना में पीड़ित को किसी भी हॉस्पिटल में बिना रुकावट के यथासंभव उपचार किया जावेगा जिसमें उससे किसी भी प्रकार की कोई अग्रिम राशि जमा करने की मांग नहीं की जावेगी । सड़क दुर्घटनाओं में दोषी वाहन यदि बीमित है तो उसकी बीमा कंपनी से पीड़ित प्रतिकर राशि प्राप्त करने का अधिकारी है, और यदि वाहन बीमित नहीं है तो ऐसी दशा में वाहन मालिक और चालक से पीड़ित को प्रतिकर की राशि दिलवाई जाती है ।
सड़क दुर्घटना में कितनी क्लेम राशि मिलती है:
यह कई बिंदुओं पर निर्भर करता है कि किस व्यक्ति को कितनी क्लेम राशि प्राप्त होगी। जैसे यदि व्यक्ति की आयु कम है तो उसे अधिक क्लेम राशि प्राप्त होती है, यदि व्यक्ति बच्चा,विद्यार्थी है या कम कमाता है तो उसे कम आयु होने पर भी कम क्लेम राशि प्राप्त होती है, यदि पीड़ित व्यक्ति पर आश्रित लोगों की संख्या अधिक है तो उसे अधिक क्लेम राशि प्राप्त होती है, यदि पीड़ित अधिक आय अर्जित करता है तो उसे अधिक क्लेम राशि मिलती है । पीड़ित को कितनी आय की हानि हुई, वह कितने दिन हॉस्पिटल में भर्ती रहा, उसे मानसिक वेदना की एवज में , आय कि हानि के एवज में, अपने कार्य से छुट्टी पर रहने के एवज में भी राशि प्रदान की जाती है । यदि पीड़ित अपंग हो गया है और भविष्य में कार्य करने योग्य नहीं रह गया है तो इस अक्षमता का भी आकलन करते हुए राशि की गणना की जाती है । यह माना जाता है कि हर व्यक्ति 60 वर्ष तक कमाई करता है इसलिए उसकी आय की हानि, दुर्घटना दिनांक से 60 वर्ष तक के अवधि तक के लिए ही मान्य की जाती है । हॉस्पिटल में भर्ती रहने के दौरान चिकित्सा व्यय रहने व खाने का खर्चा आदि भी दिलवाये जाते है। सड़क दुर्घटना में क्लेम की राशि को आकलन करने के लिए वाहन दुर्घटना अधिनियम के अंतर्गत तालिका के अनुसार विभिन्न घटकों का आकलन करते हुए क्लेम की राशि का निर्धारण किया जाता है ।
यदि वाहन का बीमा नहीं है तो क्लेम राशि कैसे मिलती है:
अक्सर यह देखा जाता है कि अज्ञात वाहन के द्वारा दुर्घटना घटित हो जाती है ऐसी दशा में पीड़ित व्यक्ति स्वयं के वाहन की बीमा कंपनी से क्लेम की राशि की मांग कर सकता है, यदि स्वयं का वाहन भी बीमित नहीं है तो ऐसी दशा में उसे वाहन दुर्घटना अधिकरण द्वारा कोई क्लेम राशि प्राप्त नहीं हो पाती है । अज्ञात वाहन की दशा में वाहन दोषी वाहन स्वामी तथा दोषी वाहन चालक का भी पता नहीं होता है इसलिए किसी से क्लेम की राशि की मांग नहीं की जा सकती है ।
अज्ञात वाहन होने पर, बीमा ना होने पर, f.i.r. ना होने पर क्लेम की राशि कैसे प्राप्त करें:
अक्सर सड़क दुर्घटना में पीड़ित को चिकित्सा सुविधा देने के चक्कर में कई आवश्यक कार्यवाहीया नहीं हो पाती हैं जिनके कारण दुर्घटना का पीड़ित बाद में क्लेम प्राप्ति के योग्य नहीं रहते हैं । ऐसी दशा में वह केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। मध्यप्रदेश में आकस्मिक दुर्घटना योजना के अंतर्गत दुर्घटना की गंभीरता के आधार पर 2,00,000/- तक की राहत राशि प्राप्त कर सकते हैं। मुख्यमंत्री आकस्मिक दुर्घटना निधि से भी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। यदि पीड़ित व्यक्ति का किसी राष्ट्रीय कृत बैंक में खाता है और उसने प्रधानमंत्री जन सुरक्षा योजना का लाभ ले रखा है तो उसे 200000 तक की राशि प्राप्त हो सकती है। इसी प्रकार बैंक में ₹12 प्रति वर्ष के हिसाब से, ₹100 प्रति वर्ष के हिसाब से, ₹400 प्रति वर्ष के हिसाब से केंद्र सरकार की योजनाओं के द्वारा भारत के नागरिकों का सामूहिक बीमा करने की व्यवस्था की गई है जिसमें नागरिकों ने यदि उपरोक्त योजनाओं में प्रीमियम जमा की है तो योजना के अनुसार चार लाख से 20 लाख तक की राशि पीड़ित व्यक्ति को दुर्घटना मैं मृत्यु के उपरांत प्राप्त हो सकती है । बैंक खता धारको को यह लाभ 70 वर्ष कि आयु तक ही प्राप्त होगा.
वाहन दुर्घटना में क्लेम की राशि प्राप्त करने के लिए आवेदन कैसे करें:
पीड़ित व्यक्ति को या पीड़ित के परिजनों को दुर्घटना दिनांक से ही किसी वकील की सहायता ले लेना चाहिए । क्योंकि बिना विधि विशेषज्ञ के मोटर दुर्घटना की प्रतिकर राशि प्राप्त करना अत्यंत कठिन हो जाता है । यदि दुर्घटना की प्रतिकर राशि अधिकतम और जल्दी से जल्दी प्राप्त करनी है तो अभिभाषक महोदय की सलाह की उपेक्षा न करते हुए उनके अनुसार कार्य करना चाहिए । विधि विशेषज्ञ के अभाव में पीड़ित तथा उसके परिवार जन कई प्रकार की अनियमितताएं व त्रुटियां कर देते हैं जिसके कारण वह क्लेम की प्राप्ति हेतु योग्य होने के पश्चात भी विधिक त्रुटियों के कारण अयोग्य घोषित हो जाते हैं । वाहन दुर्घटना के प्रतिकर की राशी प्राप्ति के लिए एमएलसी और एफ आई आर होना आवश्यक है । यदि मृत्यु हो चुकी है तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट आवश्यक है । दुर्घटना के 1 दिन के अंदर f.i.r. होना जरूरी है अन्यथा f.i.r. को संदिग्ध माना जाता है । चिकित्सा के समस्त बिल व अन्य खर्चों के बिल मूल रूप से संभाल के रखना चाहिए, सभी पेमेंट की रसीदें लेना चाहिए, हॉस्पिटल में मरीज के भर्ती होने के फोटो भी रखना चाहिए, मरीज के खाने पीने व परिवहन के बिल भी लेना चाहिए । पीड़ित के घायल होने की दशा में उसके डिसेबिलिटी का सर्टिफिकेट में उपयुक्त चिकित्सक से बनवाना चाहिए । डिसेबिलिटी का प्रतिशत जितना अधिक होगा उतनी अधिक क्लेम राशि प्रदान की जाती है । सड़क दुर्घटना का दावा संबंधित जिले के मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण ( न्यायालय) के समक्ष किसी कुशल विधि विशेषज्ञ की मदद से लगाया जाता है । जिसमें पीड़ित चोट ग्रस्त है तो स्वयं दावा करता है । यदि मृत्यु हो चुकी है तो मृतक की ओर से उसके परिजन पत्नी, बच्चे या उसके माता-पिता दावा प्रस्तुत कर सकते हैं । मोटर दुर्घटना के क्लेम का दावा प्रस्तुत करने हेतु कोई विशेष समय सीमा निर्धारित नहीं है। न्यायालय में दावा प्रस्तुति के समय समस्त चिकित्सा के दस्तावेज, पुलिस कार्यवाही के दस्तावेज, पीड़ित पर कितने आश्रित हैं इसके प्रमाण के दस्तावेज, आय संबंधी दस्तावेज, आयु संबंधी दस्तावेज, शैक्षणिक दस्तावेज, पीड़ित जीवित है तो डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट और मृत्यु की दशा में पोस्टमार्टम रिपोर्ट व पुलिस के दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं।
क्लेम की राशि का भुगतान कितने दिनों में होता है:
क्लेम की राशि का भुगतान क्लेम के दस्तावेजों और घटना की स्पष्टता पर निर्भर करता है, यदि समस्त साक्ष्य दस्तावेज और घटना आपस में एक जैसे हैं और स्पष्ट हैं तो न्यायालय को निराकरण करने में सुविधा होती है और जल्दी निराकरण हो जाता है किंतु यदि घटना, साक्षी और दस्तावेज आपस में विरोधाभासी या क्रम से नहीं होते हैं तो ऐसी दशा में न्यायालय को मामले का निर्धारण करने में समय लग जाता है। न्यायालय में सड़क दुर्घटना के मामले 1 से 2 वर्ष के अंदर निराकृत हो जाते हैं ।