
एक अद्वितीय योजना : घरेलू हिंसा कि पीड़िता को सरकार देगी 4 लाख सहायता राशि
आए दिन हम देखते हैं कि महिलाओं पर दिनोंदिन अत्याचार बढ़ रहे हैं। वैवाहिक संबंध नष्ट होते जा रहे हैं। महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। कई बार यह भी देखने में आता है कि पीड़ित महिला पूर्णतया निराश्रित हो जाती है। उसे ना मायके वाले साथ देते हैं और ना ससुराल वाले साथ देते हैं। कई बार घरेलू हिंसा में महिलाएं गंभीर रूप से घायल हो जाती हैं किसी का हाथ तोड़ दिया जाता है, किसी की आंख फोड़ दी जाती है, किसी का अकारण गर्भपात करा दिया जाता है जिससे वह अपंग हो जाती है, किसी को ऐसी दवाइयां दे दी जाती हैं जिससे उसे स्थाई विकृतियां उत्पन्न हो जाती हैं, कई महिलाएं पागल हो जाती हैं। ऐसी दशा में उन्हें सहायता देने वाला कोई नहीं होता है आर्थिक रूप से पूर्णता असमर्थ हो जाती हैं । एसी लाचार महिलाओं के लिए मध्यप्रदेश शासन ने एक परोपकारी योजना लागू की है जिसकी जानकारी होना प्रत्येक महिला के लिए आवश्यक है ।
मध्यप्रदेश शासन महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्रालय द्वारा दिनांक 27 जनवरी 2022 को जारी किए गए एक आदेश के अनुसार घरेलू हिंसा कि पीड़िता के लिए सहायता योजना की स्वीकृति प्रदान की गई है। यह योजना क्या है इसमें घरेलू हिंसा की पीड़िता को क्या सहायता मिलेगी इसके लिए कहां आवेदन करना पड़ेगा कैसे आवेदन करना पड़ेगा किन किन महिलाओं को इस योजना से सहायता प्राप्त हो सकती है किन महिलाओं को इस योजना से सहायता नहीं मिलेगी इस सब की जानकारी देने का प्रयास इस लेख में किया गया है देखते हैं इसमें कानून क्या कहता है-
घरेलू हिंसा की पीड़िता के लिए एक सहायता योजना मध्यप्रदेश शासन द्वारा लागू की गई है जिसका उद्देश्य घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं/ बालिकाओं को ऐसी हिंसा के कारण होने वाली क्षति पर क्षतिपूर्ति राशि दिए जाने का प्रावधान है। यह योजना 27 जनवरी 2022 से प्रभावी है और इसका लाभ मध्य प्रदेश की सभी महिलाएं ले सकती हैं जिनके साथ मध्यप्रदेश राज्य की सीमाओं में घरेलू हिंसा की घटना घटित हुई है। इस योजना की समीक्षा, परिचालन, और पर्यवेक्षण हेतु जिला स्तरीय समिति बनाने की प्रावधान किए गए हैं इस समिति के अधीन तथा सानिध्य में इस योजना का क्रियान्वयन किया जाता है।
कौन योजना का लाभ ले सकता है-वह महिलाएं/ बालिकाएं जिनके साथ किसी घरेलू नातेदार रिश्तेदार सगे संबंधी के द्वारा किसी भी प्रकार की घरेलू हिंसा की गई हो। एसी पीड़ित को मध्यप्रदेश की स्थाई निवासी होना चाहिए, इन घरेलू हिंसा में किसी नातेदार द्वारा आपराधिक कृत्य करते हुए किसी महिला/ या बालिका को किसी भी प्रकार की शारीरिक चोट पहुंचाई है या ऐसी कोई चूक या कमी की है जिसके कारण किसी महिला रिश्तेदार या बालिका को चोट पहुंची है। वस्तुतः घरेलू हिंसा के अंतर्गत वे क्षतियाँ सम्मिलित हैं जो कि घरेलू हिंसा से महिला का संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 3 के अंतर्गत वर्णित की गई है। किसी महिला को उसके स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन या अंग की चोट पहुंचाना, या मानसिक आघात पहुंचाना, उसके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार करना, दू:योनाचार करना, मौखिक, और भावनात्मक दुरुपयोग करना, किसी प्रकार की आर्थिक हानि देना, महिला के संबंधित किसी अन्य रिश्तेदार को हानि पहुंचाना जिससे कि उसे मानसिक आघात हो, महिला के बच्चे को हानि पहुंचाना, मारने की धमकी देना, या किसी और प्रकार का मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना देना , मजाक उड़ाना अपमान करना, गालियां देना, घर खर्च न देना, उसका इलाज ना करवाना, उसके स्त्री धन का दुरुपयोग करना, घर से निकाल देना, घर की वस्तुओं का उपयोग करने से इनकार करना ऐसे सभी काम घरेलू हिंसा के अंतर्गत आते हैं ।
इस योजना के तहत राज्य शासन की ओर से क्या सहायता मिलती है-
इस योजना के अंतर्गत शारीरिक उत्पीड़न की दशा में यदि कोई चोट/ क्षति होना आवश्यक है । चोट या क्षति इस स्तर की हो जिसमें कि किसी महिला को उसके किसी अंग में 40% तक की दिव्यांगता उत्पन्न हो चुकी हो तो ऐसी महिला को या ऐसी बालिका को ₹2,00,000 तक की राशि प्रदान करने का प्रावधान इस योजना में है । यदि ऐसी स्थाई शारीरिक क्षति 40% से अधिक दिव्यांगता उत्पन्न करती है तो उस दशा में 4,00,000/- तक की राशि इस योजना के द्वारा पीड़ित महिला को प्रदान की जाती है ।
परिवहन एवं यात्रा का खर्च- इस योजना के अंतर्गत पीड़िता को शारीरिक क्षति होने पर गंतव्य स्थल तक जाने आने हेतु परिवहन का खर्च भी प्रदान किए जाने की व्यवस्था है जिसमें पीड़ित महिला का प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन रहने की अवधि भी शामिल है। ऐसे आवागमन के लिए तत्कालीन रूप से परिवहन के वास्तविक व्यय की व्यवस्था जिला कार्यक्रम अधिकारी के द्वारा की जाएगी जो सार्वजनिक परिवहन की दरों के अनुरूप यात्रा व प्रदान करने हेतु अधिकृत हैं ।
सहायता राशि प्राप्त करने हेतु आवेदन कहां और कैसे करना है-
घटना दिनांक से 1 वर्ष के अंदर की आवेदन करना अनिवार्य है अन्यथा इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। पीड़िता को महिला बाल विकास विभाग में संरक्षण अधिकारी के पास जाकर अपने साथ हुई घरेलू हिंसा की घटना की शिकायत उपलब्ध साक्ष्यों और दस्तावेजों के आधार पर करनी होगी जहां वे आवेदन पर विचार करने के पश्चात घरेलू हिंसा से उत्पन्न क्षति इस योजना के अंतर्गत विचाराधीन किए जाने योग्य समझते हैं तो वह ऐसी घरेलू हिंसा की घटना को दर्ज करेंगे । यदि घरेलू हिंसा के घटना की शिकायत पीड़िता के द्वारा पुलिस में की गई है और उस पर पुलिस ने एफ आई आर दर्ज कर ली है तो ऐसी f.i.r. की कापी भी पीड़िता को आवेदन के साथ प्रस्तुत करना चाहिए। न्यायालय घरेलू हिंसा की गंभीरता के अनुसार संरक्षक अधिकारी नियुक्त करते हैं जो उस महिला को समय-समय पर संरक्षण प्रदान करते हैं।
इस योजना के अंतर्गत प्राप्त आवेदन जिला स्तरीय स्तरीय समिति के समक्ष प्रस्तुत किए जाते हैं इस समिति में जिले के कलेक्टर महोदय अध्यक्ष होते हैं तथा जिले के पुलिस अधीक्षक , मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग सदस्य होते हैं। इस संबंध में अंतिम स्वीकृति आदेश महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा दिया जाता है।
राशि कैसे प्राप्त होती है-
इस योजना के अंतर्गत क्षतिपूर्ति राशि का वितरण पीड़ित महिला के आधार कार्ड से जुड़े हुए बैंक खाते के माध्यम से किया जाता है। यदि पीड़ित महिला अवयस्क है या उसका खाता संचालित नहीं है तो ऐसी दशा में क्षतिपूर्ति की राशि ऐसी पीड़ित महिला के अभिभावक के खाते में जमा की जाती है। अवयस्क महिला के संबंध में राशि जमा किए जाने हेतु अंतिम निर्णय तात्कालिक परिस्थितियों के आधार पर जिला स्तरीय समिति द्वारा लिया जाता है।
योजना का लाभ नहीं मिल पाने की दशा में क्या करें-
यदि किसी कारणवश पीड़ित महिला उक्त योजना के अंतर्गत लाभ पाने के योग्य भी है उसके उपरांत भी उसे इस योजना का लाभ नहीं मिलता है तो ऐसी दशा में पीड़ित महिला 60 दिन के भीतर संभाग आयुक्त के समक्ष अपील प्रस्तुत कर योजना का लाभ प्राप्त कर सकती है।